The Definitive Guide to hanuman chalisa

तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै ।

भावार्थ – भगवान् श्री रामचन्द्र जी के द्वार के रखवाले (द्वारपाल) आप ही हैं। आपकी आज्ञा के बिना उनके दरबार में किसी का प्रवेश नहीं हो सकता (अर्थात् भगवान् राम की कृपा और भक्ति प्राप्त करने के लिये आपकी कृपा बहुत आवश्यक है) ।

Hanuman, in addition to other figures of your Ramayana, are an essential source of plays and dance theatre repertoire at Odalan celebrations along with other festivals in Bali.[139]

भावार्थ – हे महाप्रभु हनुमान जी! संसार के जितने भी कठिन कार्य हैं वे सब आपकी कृपामात्र से सरल हो जाते हैं।

— Mahatma Gandhi Photograph the strongest person in the world hurrying via palace corridors, arms laden with books. This was no imagined scene, but alternatively a real minute from the lifetime of Roman Emperor

“O partial incarnation of Lord shiva, giver of Pleasure to King Kesari. Your great majesty is revered by The complete entire world.”

व्याख्या – संसार में रहकर मोक्ष (जन्म–मरण के बन्धन से मुक्ति) प्राप्त करना ही दुर्गम कार्य है, जो आपकी कृपा से सुलभ है।

भावार्थ – आप प्रभु श्री राघवेन्द्र का चरित्र (उनकी here पवित्र मंगलमयी कथा) सुनने के लिये सदा लालायित और उत्सुक (कथारस के आनन्द में निमग्न) रहते हैं। श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी सदा आपके हृदय में विराजमान रहते हैं।

NāsaiNāsaiEnd / destroy / cured rogaRogaDisease haraiHaraiEnd / near / eradicated sabaSabaAll pīrāPīrāPains / conditions / afflictions / struggling

हर बाधाओं को दूर करने हेतु, तनाब मुक्त रहने के लिए, यात्रा प्रारंभ से पहले, बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु एवं मनोकामनाएं सिद्धि के लिए श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें।

You flew in direction of the Solar who's Many many years of Yojanas absent, considering him as being a sweet fruit.

व्याख्या – संसार में मनुष्य के लिये चार पुरुषार्थ हैं – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। भगवान के दरबार में बड़ी भीड़ न हो इसके लिये भक्तों के तीन पुरुषार्थ को हनुमान जी द्वार पर ही पूरा कर देते हैं। अन्तिम पुरुषार्थ मोक्ष की प्राप्ति के अधिकारी श्री हनुमन्तलाल जी की अनुमति से भगवान के सान्निध्य पाते हैं।

Having polished the mirror of my heart Together with the dust of my Expert’s lotus toes, I recite the divine fame of the greatest king on the Raghukul dynasty, which bestows us While using the fruit of all four endeavours.

He whoever recites this hundred moments, his chains of Bondage will probably be Slice, Excellent contentment will likely be his.

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